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दिल्ली का विनाश नादिरशाह ने दिल्ली में केवल कुछ घंटे ही कत्लेआम और लूटमार की थी, जिस के कारण ‘नादिरशाही’ शब्द बर्बरता तथा अत्याचार का सूचक बन गया. इस के विपरीत बहुत काम लोग जानते हैं की तैमूर के सैनिक तीन दिनों और तीन रातों तक लगातार दिल्लीवासियों को कत्ल करते रहे, लूटमार कर के घरों तो आग लगते रहे व तलवार की धार से बचे लाखों स्त्रीपुरुषों को गुलाम बनाते रहे. तैमूर ने डेल्ही ही नहीं, समस्त उत्तर भारत में जिहाद के नाम पर इसी प्रकार का कहर बरपाया था. तैमूर ने इन बर्बर हत्याकांडो का विस्तारपूर्वक वर्णन अपनी आत्मकथा ‘मुल्फ़जात ए तैमूरी’ में किया है, जिस का सरल हिंदी रूपांतर है ‘दिल्ली का विनाश’. यह रूपांतर इतना रोचक, रोमांचक एवं रमणीय है कि पढ़ते समय आत्मकथा उपन्यास का आभास होने लगता है.