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ये कहानी है एक लड़की आभा अरोड़ा की, जो अपने मंगेतर की मौत के बाद दिल्ली जैसे शहर को छोड़ कर अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करने के लिए वर्ष 2010 में देहरादून आती है। देहरादून में उसके साथ कुछ ऐसी घटनाएँ होती है जो उसकी समझ से बिल्कुल परे होती होती है। देहरादून में उसकी मुलाकात कुछ ऐसे लोगों से होती है, जिनका मानना था कि वो आभा से पहले भी देहरादून में ही मिल चुके है, जब कि आभा ने अपनी जिंदगी में पहली बार देहरादून में कदम रखा था।
कई जगहों को देख कर आभा को खुद ये अहसास होता है कि वो उन जगहों पर पहले भी आ चुकी थी। लेकिन किसी व्यक्ति को देख कर उसे ऐसा कोई आभास नहीं होता, जब तक कि वो महेश ओबेरॉय से नहीं मिलती। महेश ओबेरॉय को देख कर आभा को अजीब से अपने पन का अहसास होता है।
ये कहानी है फ़िज़िक्स के प्रोफ़ेसर महेश ओबेरॉय की, जिस की मंगेतर ज्योति सरीन की हत्या 1961 में उसी दिन हो जाती है, जिस दिन उन दोनों की शादी होने वाली होती है। लाख कोशिशों के बाद भी पुलिस ये पता नहीं लगा पाती कि ज्योति की हत्या आखिर किसने और क्यों की थी। ज्योति की हत्या एक रहस्य बन कर रह जाती है।
महेश ओबेरॉय ज्योति से दीवानगी की हद तक इतना प्यार करता है कि वो फिर से ज्योति से मिलने के लिए, उसकी जान बचाने के लिए एक टाइम मशीन का निर्माण करने में जुट जाता है।
ये कहानी है ज्योति सरीन नाम की लड़की की, जो महेश ओबेरॉय से बचपन से प्यार करती है। समय के साथ उनके प्यार को दोनों परिवारों की मंजूरी भी मिल जाती है। मगर ज्योति के भाग्य में सुख नहीं लिखा होता। महेश के साथ अपनी शादी के दिन ही उसकी रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो जाती है।
इस से अधिक यहाँ कुछ लिखना शायद इस अनोखी कहानी के साथ अन्याय होगा। जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ती जाएगी, धुंध छंटती जाएगी और कई रहस्यों से पर्दा उठेगा, जो आप को चौंका देगा।
देहरादून की पृष्ठभूमि में लिखा गया ये उपन्यास जो आप का परिचय कराएगा 1961 और 2010 – 11 के देहरादून से। अनोखे विषय पर लिखा गया ये एक अनोखा, तेज गति और दिलचस्प उपन्यास है जो शुरू से ले कर अंत तक आप को बांधे रखेगा। इसे पढ़ना शुरू करने के बाद आप इसे एक ही बैठक में पूरा पढ़ना चाहेंगे।